धेयनिष्ठ कर्मयोगी थे पूरनलाल जी बाथम: प्रहलाद भारती
धेयनिष्ठ कर्मयोगी थे पूरनलाल जी बाथम: प्रहलाद भारती
शिवपुरी ब्यूरो- सर्वपितृ अमावस्या के दिन आदरणीय पूरनलाल जी बाथम का दुखद देहावसान हम सबके लिए एक बड़ी क्षति है. देश और समाज के लिए, कर्मचारियों के हितों के संरक्षण के लिए उन्होंने जिस समर्पण और एकनिष्ठ भाव से अपनी जिंदगी को जिया, वो निःसंदेह हम सबके लिए प्रेरणा का स्त्रोत है. विश्वकर्मा जयंती पर भारतीय मजदूर संघ का विशेष पर्व रहता था, आदरणीय पूरनलाल जी हमेशा इस पर्व को विशेष उत्साह से मनाया करते थे, एक विचित्र एवं दुखद संयोग रहा कि इसी दिन उनका देहत्याग हुआ. उनके सार्वजनिक जीवन की यात्रा लघु वेतन कर्मचारी संघ से प्रारम्भ हुयी थी. 1986 के पहले तक उन्होंने लघुवेतन कर्मचारी संघ में कार्य किया. इसके बाद वे राज्य कर्मचारी संघ में जिला उपाध्यक्ष, जिलाध्यक्ष, संगठन मंत्री एवं प्रांतीय उपाध्यक्ष रहे. लोकनिर्माण विभाग में लघुवेतन कर्मचारी रहते हुए भी उन्होंने राज्य कर्मचारी संघ का नेतृत्व किया जिसमें द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी तक आते हैं. संगठन में उनके समर्पण और ध्येयनिष्ठ स्वभाव के चलते उनकी स्वीकार्यता बहुत ज्यादा थी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में नगर संघचालक का दायित्व भी उन्होंने निभाया. भारतीय मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष एवं विभाग प्रमुख भी वे रहे. अभी भी भारतीय मजदूर संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी के वे सदस्य थे. एक ध्येयनिष्ठ, ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ संगठन कार्यकर्ता का उनका जीवन रहा. उनके संगठनात्मक जीवन की अद्भुत विशेषता और प्रतिबद्धता यह रही कि वे शिवपुरी में स्थित राज्य कर्मचारी संघ के कार्यालय को प्रतिदिन खोलते थे और और कर्मचारियों की समस्याओं को सुनते थे, उनके समाधान के लिए तत्पर रहते थे. सदस्यता का लेखा-जोखा वे बेहद प्रामाणिकता के साथ रखते थे. सदस्यता के लिए उनके पास जो शुल्क आता था, सदस्यता शुल्क के उन्हीं पैसों को जो कार्यकर्ता जमा करता था उन पैसों को ही वे सीधा जमा कराते थे अर्थात उसके पैसों को भी नहीं बदलते थे. यह संगठन कार्य को लेकर उनकी भावना, उनकी प्रतिबद्धता और प्रामाणिकता को रेखांकित करता है. उनके संघगीत गायन की शैली अद्भुत थी, भावनाओं में तल्लीन होकर, पूरी तन्मयता से वे संघगीत गाते थे. आदरणीय पूरनलाल जी बाथम हम सबकी यादों में हमेशा रहेंगें, उनकी स्मृतियों को मैं नमन करता हूँ.

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