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उज्जैन की तर्ज पर आज शिवपुरी में निकाली जा रही है बाबा महाकाल की शाही सवारी

उज्जैन की तर्ज पर आज शिवपुरी में निकाली जा रही है बाबा महाकाल की शाही सवारी 

नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर से अभी प्रारंभ होकर शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए सायकाल 6 बजे तक सिद्धेश्वर मंदिर पर पहुंचेगी ।

शिवपुरी हुई शिव भक्तिमय, मंदिरों में होंगे भगवान शिव का अभिषेक 



शिवपुरी ब्यूरो। शिव की नगरी शिवपुरी में शिवरात्रि के अवसर पर पूरा शहर भक्तिमय हो जाता हैं शिव भक्त जगह-जगह भगवान भोले नाथ के नाम पर विशाल भण्डारों के साथ ही शिव पूजन एवं शिव बारात का आयोजन करते हैं। चूंकि शिव की नगरी शिवपुरी में भगवान भोले नाथ के भक्तों की अच्छी खासी संख्या हैं इसलिए आयोजन भी भव्य और विशाल होते हैं। शिवपुरी के सर्र्वाधिक प्राचीन एवं विशाल सिद्धेश्वर मंदिर पर विशेष पूजा अर्चना, शिवअभिषेक का आयोजन किया जाता है परन्तु इस बार  मंदिर परिसर को आकर्र्षक विद्युत सज्जा एवं लेजर लाईट से सुसज्जित किया गया हैं। इतना ही नहीं मंदिर परिसर में धार्मिक आयोजनों का भी कार्यक्रम रखा गया हैं। 

जानकारी के अनुसार शिवपुरी के प्राचीन में कई स्थानों पर शिव अभिषेक एवं पूजा अर्चना का कार्यक्रम तो होगा ही साथ ही सुबह 11 बजे नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर से प्रारंभ होकर शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए सायकाल 6 बजे तक सिद्धेश्वर मंदिर पर पहुंचेगी। वैसे तो इस शाही सवारी की तीसरी वर्ष हैं परन्तु कोरोना के चलते पिछले वार शाही सवारी नहीं निकाली  गई थी। शिव की नगरी शिवपुरी में बाबा महाकाल की शाही सवारी नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर उत्सव समिति एवं सिद्धेश्वर महादेव सेवा समिति द्वारा निकाली जा रही है जा नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर प्रगति बाजार से प्रारंभ होकर धर्मशाला रोड़, आर्य समाज रोड़, कस्टमगेट, सदर बाजार, माधव चौक, होते हुए सिद्धेश्वर महादेव मंदिर मेला ग्राउण्ड पर समापन होगी। बाबा की शाही सवारी में कलश यात्रा, आकर्षक झांकियां  जो कि अली गढ़ से तैयार होकर शिवपुरी आ रही हैं। इतना ही नहीं ढोल बौर बैण्ड भी बाहार से बाबा महाकाल की शाही सवारी में शामिल होंगे। नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया है कि शिवपुरी बड़ी ही धूमधाम से हम लोग बाबा महाकाल की तर्ज पर शाही निकालते हैं। इसकी पूरी तैयारी कर ली गई हैं। शहर के सभी भक्तजनों से अनुरोध हैं कि अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर शाही सवारी में शामिल होकर धर्मलाभ प्राप्त करें। 

बदरवास की तिलिया भरका गुफा में प्राचीन शिवलिंग सूर्य की किरणों से होता हैं रोशन


बदरवास। शिवपुरी जिले की बदरवास जनपद के अंतर्गत आने वाले ग्राम सालोन में तिलिया भरका एक प्राचीन गुफा है, जिसमें 200 फीट अंदर गहराई में एक प्राचीन शिवलिंग है। इस गुफा में पूरे दिन में महज 5 मिनिट के लिए सूर्य देवता की किरणें शिवलिंग पर पड़ती हैं। जिससे बनने वाली आकृति भी भगवान शिव के चेहरे जैसी नजर आती है। इतना ही नहीं पहाड़ी के ऊपर कोई भी पानी का स्त्रोत नहीं है, बावजूद इसके लगातार बूंद-बूंद पानी शिवलिंग पर टपक रहा है। तिलिया भरका गुफा में पहाड़ के अंदर स्थित शिवलिंग पर दोपहर तक हल्की रोशनी पड़ रही थी, लेकिन उसके अंदर का कुछ अधिक नजर नहीं आ रहा था। शाम को जैसे ही घड़ी की सुइयां 4.50 पर पहुंचीं तो सूर्य देवता की किरणें गुफा के रास्ते से होकर शिवलिंग पर पड़ीं। सूरज की किरणें पड़ते ही न केवल शिवलिंग की परछाईं पीछे पत्थर पर स्पष्ट नजर आने लगी, बल्कि उस प्रतिबिंब में भी एक अलग ही तेज नजर आया।

पोहरी के केदारेश्वर मंदिर पर प्रकृति करती हैं भगवान शिव का जलाभिषेक


पोहरी नगरपंचायत क्षेत्रातर्गत आने वाला केदारेश्वर महादेव मंदिर प्राकृतिक रूप से पहाडों के बीच स्थित है जिसके एक ओर सरकुला नदी बहती है तो दूसरी ओर विशाल पहाड है, पहाडों के बीच से होकर निकलने वाली पानी की करोडों बूदों से महादेव का अभिषेक प्राय: वर्षभर चलता रहता है परंतु शिवरात्री के दिन यहां लोगों की संख्या हजारों में होती है जो कि एक मेले का स्वरूप में आयोजित होता है। अब बात करें केदारेश्वर महादेव मंदिर के निर्माण एवं शिवलिंग के प्राकट्य के विषय में तो बतायना आवश्यक होगा कि वर्तमान पोहरी से पूर्व प्राचीनकाल में पोहरी केदारेश्वर मंदिर के नजदीक ही पहाडी के नीचे बसी हुई बस्ती थी जिसे बूडी पोहरी कहा जाता है, जिसके अवशेष आज भी स्थानीय पत्थर माफियाओं द्वारा खोद कर बेचे जा रहे हैं, यहां पुराने समय के भवनों, कुआ बाबडी, मंदिरों आदि के अवशेष खुदाई में निकल रहे हैं जो कि काफी प्राचीन प्रतीत होते हैं। केदारेश्वर मंदिर के विषय में जब यहां के पुजारी परिवार के ही रामनिवास भार्गव से चर्चा की गई तो उन्होने जानकारी देते हुए बताया कि लगभग चार—पॉच सौ वर्ष पूर्व हमारे परिवार के पूर्वजों को भगवान शिव द्वारा सपने में आकर इस स्थान के विषय में बताया था जब निर्धारित स्थल पर खुदाई की गई तो शिवलिंग एवं गर्भगृह मूलरूप में ही निकले, जो गर्भगृह वर्तमान में है वह उस समय से ही विराजमान हैं। यहां स्थित गौमुख से जल की धारा वर्षभर प्रवाहित होती रहती है कहते हैं कि इस जल को पीने से ही शरीर की कई बीमारियों का शमन हो जाता है, खासकर इस जल से पेट के रोगों में काफी लाभ मिलता है। उन्होने बताया कि यहां के पूजन की जिम्मेदारी हमारे परिवार द्वारा पीढियों से की जा रही है, वर्तमान में हमारे दो परिवार है जो बारी—बारी से वर्षभर पूजन का कार्य देखते हैं।

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