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भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण महोत्सव पर तीन दिवसीय ई अहिंसा संस्कार शिविर एवं विधान का हुआ शुभारंभ

भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण महोत्सव पर तीन दिवसीय ई अहिंसा संस्कार शिविर एवं विधान का हुआ शुभारंभ


स्वप्निल जैन (लकी)  खनियांधाना

खनियांधाना ब्यूरो , संपूर्ण विश्व को अहिंसा तथा जियो और जीने दो का दिव्य संदेश देने वाले जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण महोत्सव दीपावली की पूर्व बेला में आज से खनियाधाना में तीन दिवसीय अहिंसा संस्कार शिविर एवं महावीर पंचकल्याणक विधान का भव्य शुभारंभ हुआ जिसमें स्थानीय जैन समाज के अलावा ऑनलाइन माध्यम से देश-विदेश के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया । श्री नंदीश्वर जैन विद्यापीठ द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम 8 नवंबर से 10 नवंबर तक चलेगा जिसमें प्रतिदिन तीनों समय पूजन, विधान, भक्ति तथा स्वाध्याय सहित कई तात्विक संगोष्ठीओं का लाभ भी देश भर की मुमुक्षु समाज को मिलेगा । संपूर्ण कार्यक्रम बाल ब्र. पं. सुमत प्रकाश जी की मंगल प्रेरणा से तथा बाल ब्र. पं. श्रेणिक जी शास्त्री जबलपुर के मंगल सानिध्य में आयोजित होगा तथा शिविर के संयोजक पं. दीपक जी शास्त्री अधीक्षक नंदीश्वर विद्यापीठ तथा पं. समकित जी शास्त्री रहेंगे ।

आयोजन के मीडिया प्रभारी सचिन मोदी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार आज इस महोत्सव का भव्य शुभारंभ खनियाधाना में श्री नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के मांगलिक भवन में हुआ जिसमें सर्वप्रथम ध्वजारोहण श्रीमती मंजू-एसपी जैन भोपाल के द्वारा ऑनलाइन किया गया तथा शिविर के आमंत्रणकर्ता निहालचंद जी जयपुर थे । इसके बाद उद्घाटन सभा का आयोजन हुआ जिसके मुख्य अतिथि अशोक जी बड़जात्या इंदौर तथा पं. अभय कुमार जी शास्त्री देवलाली रहे । शिविर के दौरान ही श्री महावीर पंचकल्याणक विधान संगीत की स्वर लहरियों के साथ संपन्न हुआ जिस जिसके आमंत्रणकर्ता सुनील जैन सरल परिवार रहे । कार्यक्रम के प्रथम दिन मांगलिक प्रवचनों का लाभ ब्र. सुमत प्रकाश जी का मिला जिन्होंने ऑनलाइन संबोधित करते हुए भगवान महावीर की अहिंसा के संबंध में अपना उद्बोधन दिया तथा बताया कि किस प्रकार वर्तमान संदर्भ में भगवान महावीर की शिक्षाएं प्रासंगिक है जिनमें कोरोना काल में भी शासन प्रशासन द्वारा जो अपील जारी की जा रही है उनका पालन पूर्व से ही जैन समाज द्वारा किया जा रहा है जो अहिंसा के द्वारा ही संभव है । उन्होंने कहा कि पूरे विश्व की अहिंसा का पाठ जहां समाप्त होता है जैन धर्म की अहिंसा वहां से प्रारंभ होती है क्योंकि हमारे द्वारा मन वचन काया से भी किसी भी प्रकार के जीव को कष्ट ना पहुंचने की भावना भाई जाती है । कार्यक्रम में दूसरा प्रवचन पंडित श्रेणिक जी शास्त्री जबलपुर का हुआ जिन्होंने भी अहिंसा शिविर के संबंध में अपने मार्मिक प्रवचन प्रस्तुत किए ।

 दोपहर में आध्यात्मिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें डॉ वीर सागर जैन दिल्ली तथा पं. हेम कुमार जी हम देवलाली के सानिध्य में वक्ताओं ने अपने विचार भगवान महावीर तथा उनके बाद आचार्य परंपरा के संबंध में प्रस्तुत किए । कार्यक्रम का शुभारंभ आत्मार्थी दृशी जैन ने मंगलाचरण पूर्वक किया तथा संचालन पं. समकित जी शास्त्री ने किया । गोष्ठी में पं. स्वानुभव जी , अनुभव जी , अमन जी आदि ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये ।

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